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Showing posts from January, 2018

Sant Ravidas- जन्म गौड़ है ,कर्म प्रधान

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                         जन्म गौड़    है ,कर्म प्र धान                                                  कृष्ण मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा प्रतिदिन ब्रम्हमुहुर्त में गंगा स्नान करते ,भगवान का भजन करते और दिनभर मंदिर में साफ -सफाई किया करते थे। उनके मन में छुवाछूत की बिमारी इसतरह घर कर गयी थी कि वे प्यासा रह सकते थे ,लेकिन बिना जात -पात पूछे किसी के हाँथ का पानी नही पीते थे। उनका अटल विशवास था कि यदि कोई अछूत मंदिर में प्रवेश करेगा तो मंदिर की पवित्रता नष्ट हो जाएगी।              मंदिर के पास ही रास्ते में एक झोपड़ी में एक मोची रहता था जो चमड़े के जूते -चप्पल सिलकर अपना तथा अपने परिवार का पेट पालता था। पुजारी बाबा कभी -कभार बाजार से लौटते वक्त मोची की झोपड़ी के पास से गुजरने के बाद आकर स्नान करते ,टीका लगाते तब कहीं जा कर उनके मन को ...

sachchhi mitrata, true friendship, an inspirational story

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सच्ची मित्रता                किसी वन में सुरंग और कुरंग नाम के दो हिरन रहते थे। आये दिन दोनों को जंगली कुत्तो ,लकड़बघ्घों और भेड़ियों के आक्रमण से बचकर भागते रहना पड़ता था। दोनों एक दिन एक मित्र की तलाश में निकल पड़े। सुरंग कहने लगा ,"भाई कुरंग !मित्र चाहे बड़ा हो या छोटा ;मित्रता सच्ची होनी चाहिये। "कुरंग ने प्रतिवाद किया ,"मैं तुमसे सहमत नहीं हूँ ,मान लो कोई सच्चा ही मित्र हो ,लेकिन ताकतवर नहीं होगा तो ,शेर और बाघ से क्या खाक बचायेगा।              दोनों अभी यही वाद -विवाद कर रहे थे कि पास के तालाब में एक मधुमक्खी पर उनकी नजर पड़ी जो डूबने वाली थी। सुरंग ने पानी में एक घांस का तिनका फेका। मधुमक्खी उसी तिनके के सहारे किनारे आ गयी। कुरंग ने सुरंग को जल्दी चलने के लिये कहा तो सुरंग ने कहा ,"भाई कुरंग मधुमक्खी के पंख सूख जाने दो ,अभी बेचारी असुरक्षित है। "              कुरंग झल्लाता हुआ आगे बढ़ गया मधुमक्खी को जब सुरंग से पता चला कि वे दोनों मित्र की तलाश में निकले थे ,तो उसने...

Baba Nirliptanand. interesting story in hindi

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                   बाबा    निर्लिप्तानंद    किसी गांव के छोर पर पीपल के नीचे एक महात्मा जी ने अपना दंड और कमंडल रखा और चेला मन्साराम से कहा ,"वत्स शाम होने वाली है,मैं तो गांव में प्रवेश नहीं करुँगा तू लपककर जा और किसी दुकान से सौदा खरीद ला तो ,भगवान का भोग लगे और प्रसाद पाया जाये। "                                                                         चेला गांव की ओर चल पड़ा। एक किराने की दुकान पर आटा ,दाल ,नमक और आलू आदि खरीद कर चलने लगा तो ,दुकानदार से न रहा गया,पूछ पड़ा ,"महात्मा जी ,कहाँ के रहने वाले हो। "चेला मुस्कुराया ,"रमता जोगी बहता पानी। बच्चा !साधु का कौन सा घर कौन सा परिवार ?जहाँ वसई तँह सुन्दर देसू। "                 दुकानदार प्रभावित हुआ ,बोला ,"महात्मा जी आज मेरे गरीबखान...

जैसे को तैसा { Tit for tat }, best motivational story in hindi

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                      जैसे को तैसा                                                                                                       Hello दोस्तो, आज हम आपको बताने जा रहे हैं , कि कैसे कई बार इंसान दूसरों को इज्जत देता रहता है और दूसरों की बाते मानता रहता है। और दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति को बेवकूफ समझता है और उसे दबाता रहता है। पर कभी जब किसी चीज की हद हो जाती है तब मजबूर होकर वो क्या करता है ?चलिए कहानी के माध्यम से जानते हैं।             एक गरीब किसान था। बहुत ही सीधा -साधा, अच्छे विचार और व्यवहार वाला। वह एक जमींदार के यहाँ खेती का काम करता था। जमींदार बहुत अमीर तथा घमंडी था। एक दिन गरीब किसान जमींदार के ख...

little saava. A brave Girl, A heart touching motivational story in hindi

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नन्ही सावा   एक बहादुर लड़की                   कथा प्राचीन काल की है। नागचौरी नामक गांव में नागवंशी समुदाय के लोग अमन -चैन से अपना जीवन यापन करते थे। यदि उन्हें कोई गम था,तो सिर्फ एक अभिशाप कि कभी कभार विशाल गरुड़ {एक पक्षी }किसी न किसी निवासी पर आक्रमण करके उसे मारकर खा जाता था। उसी गांव में एक अनाथ लड़की सावा अपने चाचा -चाची के पास रहती थी। उसके माता -पिता को भी गरुड़ ने मारकर खा लिया था। जीवन की इतनी हानि देखकर नागवंशियो ने गरुड़ से समझौता कर लिया था ;जिसके मुताबिक प्रत्येक माह की शुरुआत में गांव के एक सदस्य को गरुड़ का आहार बनने के लिए काली पहाड़ी पर जाना पड़ता था।                 नन्ही सावा को चाचा -चाची के घर काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता था। घर का सारा काम करने के बाद भी उसे डांट और मार पड़ती और भूखी प्यासी रहना पड़ता। रात के एकांत में अपने माता-पिता को याद करके सावा खूब रोती थी। माह की शुरुआत थी और चाचा -चाची के घर से गरुड़ के भोजन हेतु किसी को भेजने की बारी आ पहुंची। चाचा -च...

Bina Vichare, best motivational story in hindi

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hello दोस्तों आज हम आपके सामने दो ऐसी घटनाओ का जिक्र करने जा रहे है। जिसमे लोगो ने दूसरो के बारे में बिना जाने अपनी पूर्व धारणा बना ली। क्या जो हमलोग दूसरो के बारे में बिना जाने धारणा बनाते है वो हमेशा १०० % सही ही होती है ?चलिए अब उन दोनों घटनाओ के बारे में जानते है।  बिना विचारे  एक बदहवास लड़की सुनसान रास्ते पर साइकिल चलाती हुई तेज गति से कस्बे की ओर भागी जा रही थी। कारण था एक गुंडा लड़का जो बड़ी देर से साइकिल वाली लड़की का पीछा कर रहा था। लड़की और लड़के के बीच में फासला ज्यादा था ,अतः लड़के के आवाज देकर बुलाने पर भी लड़की को सुनाई नहीं पड़ रहा था। कस्बे के पास -पड़ोस के एक दो व्यक्तियों को खड़ा पाकर लड़की को कुछ दिलासा मिली ,हिम्मत आयी। वह रुक गयी। वह बदमाश लड़का भी तेजी से साइकिल चलाता हुआ लड़की के बिल्कुल करीब आकर रुक गया। लड़की गुस्से और घबराहट में थी जरुर ,लेकिन हिम्मत करके आव देखा न ताव ,जब तक लड़का कुछ कहे ,इसके पहले ही लड़की ने कसकर एक चाटा लड़के के गाल पर जड़ दिया और बोली -मै देख रही हूँ तुम बहुत दूर से मेरा पीछा कर रहे हो। ...

Social service everywhere-anytime. A motivational story in hindi

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                   समाज सेवा कहीं भी कभी  भी        किसी गांव में राघव नाम का एक युवक था। स्वभाव से अत्यन्त उदार और समाज सेवा के लिए हरदम तत्पर। गांव वाले अक्सर कहते कि राघव समाज सेवा का ढोंग करता है। राघव अपनी धुन का पक्का और तबीयत से अलमस्त था। गांव को बाजार से जोड़ने वाला एकमात्र कच्चा रास्ता एक बार आने जाने वालो के लिए मुसीबत बन गया। रास्ते के पास झाड़ियों में एक कुत्ता मर कर बदबू कर रहा था। आने -जाने वाले दुर्गन्ध से व्याकुल होकर नाक पर कपडा दबाकर तेज गति से रास्ता पार करने लगे। तेज चलने के कारण ऊबड़ -खाबड़ पगडन्डी पर एक दो लोग गिरकर जख्मी भी हो गये ,लेकिन फिर भी उसे अनदेखा कर दिये और समस्या का समाधान करने की कोई कोशिश नही किये।                                                             चिलचिलाती धूप में गांव वालो ने देखा कि राघव घर से कुदाल...

The Diamond Sandals, is a best motivational story in hindi.

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हीरे की चप्पलें  (The Diamond Sandals ) The Diamond Sandals  किसी गांव में एक निर्धन लड़की अपने माता पिता के साथ रहती थी। उसका नाम पंखुड़ी था। उसके माता -पिता मधुर स्वभाव के थे ,क्योकिं माता -पिता  का विवाह कम उम्र में हो गया था ,इस कारण पिता अभी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे थे। परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। किसी तरह से उसके परिवार का भरण -पोषण चल रहा था। उसकी माँ दिनभर मेहनत मजदूरी करती थी,और पिता पूरी मेहनत से नौकरी की तलाश में इधर -उधर भटक रहे थे पर उन्हे success नहीं मिली। अब पंखुड़ी 5 वर्ष की हो गयी अतः उसका admission घर के पास एक साधारण school में करवाया गया। पंखुड़ी प्रखर बुद्धि की थी,सदैव अपने school  में प्रथम आती थी ,teachers उसकी प्रशंसा करते थे। गरीब होने के कारण उसके पास एक ही फ्रॉक थी तथा पैरों में चप्पलें भी नहीं थी। school में पंखुड़ी के साथ की लड़कियां तरह-तरह के रंगबिरंगे कपडे एवं चप्पलें पहन कर आती थीं। पंखुड़ी मन ही मन सोचती थी कि उसके पास भी कई रंगबिरंगे कपडे तथा चप्पलें हों वह माँ से ये चीजे मांगती थी तो माँ कहती ''तुम्हारे ...