Social service everywhere-anytime. A motivational story in hindi
समाज सेवा कहीं भी कभी भी
किसी गांव में राघव नाम का एक युवक था। स्वभाव से अत्यन्त उदार और समाज सेवा के लिए हरदम तत्पर। गांव वाले अक्सर कहते कि राघव समाज सेवा का ढोंग करता है। राघव अपनी धुन का पक्का और तबीयत से अलमस्त था। गांव को बाजार से जोड़ने वाला एकमात्र कच्चा रास्ता एक बार आने जाने वालो के लिए मुसीबत बन गया। रास्ते के पास झाड़ियों में एक कुत्ता मर कर बदबू कर रहा था। आने -जाने वाले दुर्गन्ध से व्याकुल होकर नाक पर कपडा दबाकर तेज गति से रास्ता पार करने लगे। तेज चलने के कारण ऊबड़ -खाबड़ पगडन्डी पर एक दो लोग गिरकर जख्मी भी हो गये ,लेकिन फिर भी उसे अनदेखा कर दिये और समस्या का समाधान करने की कोई कोशिश नही किये। चिलचिलाती धूप में गांव वालो ने देखा कि राघव घर से कुदाल लेकर बदबू वाले स्थान पर पसीने से तरबतर होकर एक गड्ढ़ा खोद रहा है। झाड़ियों में सड़ते कुत्ते की लाश को बोरे में समेटकर राघव ने उसे गड्ढ़े में डालकर मिट्टी से दबा दिया दुर्गन्ध चली गयी। अब आने -जाने वालो ने राहत की सांस ली। यह राघव नाम का नवयुवक आगे चलकर 'बाबा राघवदास 'के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जनपद देवरिया के बरहज नामक तहसील के श्रीकृष्ण विद्यालय में एक आश्रम बनाकर जीवन भर समाजसेवा में तत्पर रहा। बाबा को पूर्वांचल का 'गाँधी 'भी कहा जाता है। दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समाज सेवा की शुरुआत के लिए कोई दिन माह या मुहुर्त नही नियत करना चाहिये। कभी भी कहीं भी सजग रहते हुये समाज सेवा की जा सकती है। उदार चित वाले महान पुरुष छोटे से छोटे कार्य को करने में घृणा या लज्जा का अनुभव नहीं करते।
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