sachchhi mitrata, true friendship, an inspirational story
सच्ची मित्रता
किसी वन में सुरंग और कुरंग नाम के दो हिरन रहते थे। आये दिन दोनों को जंगली कुत्तो ,लकड़बघ्घों और भेड़ियों के आक्रमण से बचकर भागते रहना पड़ता था। दोनों एक दिन एक मित्र की तलाश में निकल पड़े। सुरंग कहने लगा ,"भाई कुरंग !मित्र चाहे बड़ा हो या छोटा ;मित्रता सच्ची होनी चाहिये। "कुरंग ने प्रतिवाद किया ,"मैं तुमसे सहमत नहीं हूँ ,मान लो कोई सच्चा ही मित्र हो ,लेकिन ताकतवर नहीं होगा तो ,शेर और बाघ से क्या खाक बचायेगा।
दोनों अभी यही वाद -विवाद कर रहे थे कि पास के तालाब में एक मधुमक्खी पर उनकी नजर पड़ी जो डूबने वाली थी। सुरंग ने पानी में एक घांस का तिनका फेका। मधुमक्खी उसी तिनके के सहारे किनारे आ गयी। कुरंग ने सुरंग को जल्दी चलने के लिये कहा तो सुरंग ने कहा ,"भाई कुरंग मधुमक्खी के पंख सूख जाने दो ,अभी बेचारी असुरक्षित है। "
कुरंग झल्लाता हुआ आगे बढ़ गया मधुमक्खी को जब सुरंग से पता चला कि वे दोनों मित्र की तलाश में निकले थे ,तो उसने चट सुरंग से मित्रता का प्रस्ताव रखा। अपने छत्ते तक ले गयी और मीठा शहद भी खिलाया।
सुरंग को लौटते वक्त रास्ते में कुरंग मिला जो खुशी से इतरा रहा था।वो हॅसता हुआ बोला ,"अब हम दोनों को जंगल में किसी से डरने की जरुरत नहीं ,मैंने गजराज {हाँथी }को अपना मित्र बना लिया है। "सुरंग ने कहा ,"भाई मैंने तो उसी मधुमक्खी को अपना मित्र बना लिया है। "यह सुनकर कुरंग उसकी नादानी पर धिक्कारने लगा।
एक दिन जंगली कुत्तों के एक झुंड ने सुरंग -कुरंग का पीछा किया। कुरंग सुरंग के साथ तेजी से भागता हुआ गजराज की शरण में गया। गजराज बोला ,"मेरे सरोवर में स्नान का समय हो रहा है मैं इस समय कुछ नहीं कर सकता। "कुत्ते क्रमशः नजदीक आते जा रहे थे। सुरंग कुरंग के साथ अपनी मित्र मधुमक्खी के पास पहुंचा मित्र को संकट में देखकर मधुमक्खियों ने कुत्तों के झुंड पर आक्रमण कर दिया। मधुमक्खियों के डंक की पीड़ा से कुत्ते किंकिंयाते हुये पलट कर भागे जान बची तो कुरंग को सच्ची मित्रता का अर्थ समझ में आया।
तो दोस्तों ,इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दोस्ती कभी छोटा या बड़ा ,अमीर या गरीब ये सब देखकर नहीं करनी चाहिए क्योंकि सबका अपना अपना एक अलग महत्व है। जैसे जो कार्य सुई कर सकती वह तलवार नहीं।
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