जैसे को तैसा { Tit for tat }, best motivational story in hindi

                      जैसे को तैसा 
                                                                                         

           Hello दोस्तो, आज हम आपको बताने जा रहे हैं , कि कैसे कई बार इंसान दूसरों को इज्जत देता रहता है और दूसरों की बाते मानता रहता है। और दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति को बेवकूफ समझता है और उसे दबाता रहता है। पर कभी जब किसी चीज की हद हो जाती है तब मजबूर होकर वो क्या करता है ?चलिए कहानी के माध्यम से जानते हैं। 
           एक गरीब किसान था। बहुत ही सीधा -साधा, अच्छे विचार और व्यवहार वाला। वह एक जमींदार के यहाँ खेती का काम करता था। जमींदार बहुत अमीर तथा घमंडी था। एक दिन गरीब किसान जमींदार के खेत को जोत रहा था। सुबह से दोपहर हो गयी ,जब उसे अत्यधिक प्यास लग गयी ,तो उसने खेत जोतना बंद कर दिया और जमींदार से कुछ खाने -पीने को माँगा। तीव्र गर्मी के कारण किसान का गला सूख रहा था ,वह भूख -प्यास से परेशान था। तब जमींदार अपने घर गया और घर से गुड़ का छोटा सा टुकड़ा किसान के लिए ले आया। जमींदार ने गुड़ का वह टुकड़ा किसान को दिया। इस पर किसान ने कहा ;"ये तो बहुत ही थोड़ा सा है। "इस पर जमींदार बोला ;"इसकी थोडाई मत देखो ,इसकी मिठाई {sweetness }तो देखो।" यह सुनकर गरीब किसान दुखी हुआ ,मजबूर किसान आँखों में आंसू लिए गुड़ का टुकड़ा खाकर अपनी भूख शांत करता है और कार्य में लग जाता है। 
             शाम को किसान अपने घर पहुँचता है, वह बहुत परेशान था और सोचने लगा कि ये दुनिया कैसी है ,अगर जमींदार थोड़ा सा गुड़ और दे देता तो उसका क्या चला जाता। अगले दिन गरीब किसान फिर जमींदार का खेत जोतने गया। वह सुबह से दोपहर तक एक ही लाइन पर खेत जोतता रहा। यह सब देखकर जमींदार गुस्से में आ जाता है और वह किसान से कहता है कि तुम एक ही जगह पर लगातार जोत रहे हो ,पूरा खेत बाकी बचा है। इस पर किसान ने बड़ी विनम्रता से कहा ;"साहब इसकी थोडाई मत देखो ,इसकी गहराई तो देखो। "इस तरह जमींदार को समझ में आता है कि कल मैंने गरीब किसान के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया।
                तो दोस्तों, आप लोगों ने देखा कि यदि हम लगातार सहते हैं तो लोग हमें और दबाते हैं वे इसको अगले व्यक्ति की अच्छाई नहीं कमजोरी समझने लगते हैं। हर वक्त किसी की बुरी बात को सुनते रहने से व्यक्ति स्वयं अपमानित होता है और अपमान करने वाले को यह अहसास ही नहीं होता कि वो अगले व्यक्ति का कितना अपमान कर रहा है। इसलिए कभी -कभी बुरी बातों का विरोध भी करना आवश्यक हो जाता है ताकि व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हो सके ,नहीं तो एक व्यक्ति अपने को ही सदैव अच्छा और दूसरे को बुरा समझेगा। यदि गरीब किसान जमींदार को उसकी गलती नहीं समझाता तो जमींदार को कभी भी अपनी गलती का एहसास नहीं होता।


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