khubsurat farista, this story is all about helping others, who are needy.

खूबसूरत फरिश्ता 

दोस्तो आज की स्पर्धाभरी जिंदगी में हमारे पास दूसरों के साथ बिताने के लिये कुछ पल भी नहीं मिल पाते हैं। हम अपनी जिंदगी में अपने सपनों को पूरा करने में इस कदर खो जाते हैं कि हमें अपनों के साथ के लिये समय नहीं मिल पाता है तो दूसरों के लिये समय निकालना बहुत दूर की बात है। आज हमारे पास रुपया -पैसा चाहे जितना हमने कमा लिया हो ,किन्तु जब हम शांत मन से सोचते हैं तो स्वयं को अकेला ही पाते हैं।
         क्या वास्तव में हमारे पास दूसरों के लिये कुछ पल भी नहीं है?आइये इस घटना के माध्यम से जानते हैं।
 शाम का समय था। राजधानी की सड़के बारिस से भीगी हुयी थीं। सड़क पर गाड़ियों का अम्बार लगा हुआ था। ऐसे समय में एक व्यक्ति अपने साथ एक महिला को अपनी मोटरसाइकिल के पीछे की सीट पर बैठाकर चला जा रहा था। महिला देखने में प्रौढ़ तथा अच्छे कपड़े और अच्छे -अच्छे कीमती गहने पहने हुयी थी। कुछ देर तक सड़क पर सफर करने के बाद अचानक चौराहा आया और चौराहे पर बहुत ही ज्यादा भीड़ थी। इसी भीड़ में कहीं से दूसरा मोटरसाइकिल सवार गाड़ी पार करने की कोशिश करता है इतने में दोनों गाड़ियों में टक्कर हो जाती है और उसके पीछे सीट पर बैठी महिला मोटरसाइकिल से नीचे सड़क पर गिर पड़ती है। मोटरसाइकिल पर बैठा व्यक्ति सड़क के किनारे गड्ढ़े में गिर जाता है। महिला मदद के लिए चिल्लाती है ,हजारों की भीड़ वाली सड़क पर महिला की आवाज कोई नहीं सुनता है। महिला के पैरों में दर्द के कारण वह उठ नहीं पा रही थी,पर आने -जाने वालों के पास उसकी मदद के लिए समय नहीं था। ऐसे समय में एक नवयुवक जो कि सुन्दर सफेद वस्त्र पहने हुये था। वह अपने कार्य से उसी सड़क से गुजरता है तभी अचानक उसकी नजर उस महिला पर पड़ती है। लड़का झट से महिला के पास पहुँचकर अपनी मोटरसाइकिल उसके सामने कर के उसे घेर लेता है ताकि कोई दूसरी गाड़ी उस पर न चढ़ जाये और अपने हांथो का सहारा देकर उस महिला को उठाकर किनारे पहुँचाता है। और उस गड्ढ़े में गिरे व्यक्ति को भी बाहर निकालता है। महिला उस युवक को बहुत आशिर्वाद देती है ,महिला कहती है कि बेटा तुम भगवान के भेजे हुये फरिश्ते हो ,तुमने हमारी जान बचाई है ,भगवान तुम्हे हर खुशी दें।
            तो देखा आप लोगों ने ,अपने कीमती समय में से अगर हम कुछ क्षण दूसरों की मदद करने में लगाते हैं तो हमें आत्मशांति मिलती है। दूसरे लोग जो असहाय हैं उनकी मदद हो जाती है। हममे बहुत से लोगों के सामने स्कूल ,कॉलेज ,ऑफिस जाते समय ऐसी घटनायें घटित हुयी होंगी पर हम इतने व्यस्त हैं कि लोगों की मदद नही करते हैं और ये सोच कर आगे बढ़ जाते हैं कि कोई दूसरा और मदद कर देगा ,इसी चक्कर में न जानें कितने लोगों की जान चली जाती है। अगले दिन अखबार में ये घटना देखकर हमें बहुत अफसोस होता है। किसी  की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। दूसरों की सहायता करने से हम कभी भी प्रगति के पथ पर पीछे नहीं जाते हैं बल्कि आगे ही बढ़ते जाते हैं।








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