End is a beginning. short inspirational story for students in hindi

    अंत ही शुरुवात है 


यह कहानी है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के एक मध्यमवर्गीय परिवार के एक लड़के राहुल  की, जिसने सरकारी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और Graduation करने के बाद competitive exam की तैयारी करने delhi गया। उसके अंदर बहुत उत्साह और आत्मविश्वास था। राहुल ने अपनी तैयारी शुरू कर दी। पहले साल exam दिया, लेकिन qualify नहीं कर सका। उसको बहुत दुःख हुआ पर फिर से पूरे जोश से अगले exam की तैयारी में जुट गया। राहुल सिर्फ 5 घंटे सोता और बाकी समय वह पढ़ाई  करता रहता था। उसके सभी रूम पार्टनर बड़े बड़े कॉलेजो से पढ़कर आये थे। इस बात का घमंड उनके अंदर हमेशा दिखाई पड़ता था। वो अक्सर राहुल का मज़ाक बनाया करते थे। धीरे धीरे 5 साल बीत गए।  राहुल का selection अब भी किसी नौकरी के लिए नहीं हुआ था। उसके साथ के सभी लड़को का selection कही न कही हो गया। उसके मित्र अक्सर राहुल को ताना मरते कि 5 वर्ष में पंचवर्षीय योजना पूरी हो जाती है, लेकिन तू अभी तक कुछ नहीं कर पाया, तुझसे नहीं होगा, छोड़ दे तैयारी और कोई प्राइवेट नौकरी ढून्ढ ले।  तुम्हारी तो नींव ही मज़बूत नहीं है।  तुमने सरकारी स्कूल से पढाई की है तुम्हारा कुछ नहीं होने वाला। राहुल यह सब सुन कर हताश हो गया। उसने सोचा ऐसी ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी है , अब सब खत्म हो चुका है और अब मुझे नहीं जीना है। वह रात भर सोचता रहा और फिर उसने decide किया कि मै अपने आप को 10 दिन का समय देता हूँ, और ये 10 दिन मैं अपने परिवार के साथ बिताऊंगा और वो हर चीज़ करूँगा जो मै करना चाहता था, लेकिन पढाई के कारण सोचता था की पहले कुछ बन जाऊ फिर ख़ुशी मनाऊँगा। 
                       राहुल अपने घर पहुँचता है।  माँ राहुल को देखते ही खुश हो जाती है और उसे अपने गले से लगा लेती है।  पिता और बहन के चेहरे भी ख़ुशी से खिल जाते है। खाना  खाने के बाद राहुल अपने कमरे में सोने चला जाता है। बिस्तर पल लेटे हुए वह सोचता है कि माँ , पापा और बहन तो अब भी मुझे उतना ही प्यार करते हैं।  वोह तो मुझसे घृणा नहीं करते हैं। मैं कितना बेवकूफ हूँ  जो उन लोगो के कारण अपनी जान देने चला था जो मेरी ज़िंदगी में कोई अहमियत नहीं रखते हैं।  उसकी आंखें भर आयी। धीरे धीरे 9 दिन बीत गए , दसवे दिन वो Delhi वापस गया और अब तक उसके दिमाग़ से suicide करने का विचार निकल चुका  था।  अब वह एक नया राहुल था जिसको किसी के ताने का कोई असर नहीं पड़ता था। negativity अब positivity में बदल चुकी थी। इस बार राहुल ने प्रसन्न मन से दुनिआ की परवाह किये बिना तनावरहित होकर पढाई की। result आया तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उसने एग्जाम qualify कर लिया था और अब वह एक आई ए एस अधिकारी बन चुका था। ताने मरने वालों के मुँह पर ताला लग चुका था। 
                      तो दोस्तों जैसा कि अपने देखा किस तरीके से राहुल ने अपने आपको संभाला और अपने जीवन को बदल दिया। तो दोस्तों अगर आपके मन में भी बुरे विचार आये तो आप अपना कुछ समय अपने परिवार  के साथ ज़रूर बिताये।  इससे आपको कोई न कोई postive रास्ता ज़रूर मिलेगा। 

Comments

  1. genius person are generally .....
    they are usually right.
    they ask reverent questions.
    they believe that their time is valuable.
    they don't respond to stupid questions ( it's a wast of their valuable time)
    they chose their friends not the other way around.
    and they try not to waste to much time answering.

    signs of genius

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